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पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति क्या है? || paryavaran shiksha ki prakriti pdf in hindi || Nature of environment in hindi

पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति

Nature of Environment in Hindi

PRYAVRN SHIKSHA KI PRAKRITI PDF

पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति क्या है?
www.ab Jankari .in 
Post Title:- पर्यावरण शिक्षा के अवधारणा    
Post Date:- जनवरी 2022
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Short Information  पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति क्या है?  

पर्यावरण का मानव जीवन में विशेष महत्त्व है। उसका अपना प्रभाव होता है। मानव संस्कृति और मानव जीवन के विकास, उन्नयन में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान पर्यावरण का ही रहता है। पर्यावरण प्रकृति का वह घटक है जो मानव जीवन से सम्बन्धित है और उसे प्रभावित करता है। पर्यावरण और प्रकृति में वस्तुत: कोई भी अन्तर नहीं है जो मानव जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करता है। अत: पर्यावरण तथा प्रकृति एक-दूसरे के द्योतक हैं। यदि पर्यावरण में परिवर्तन होगा तो मनुष्य एवं सम्पूर्ण जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

पर्यावरणीय शिक्षा की प्रकृति
PRYAVRN SHIKSHA KI PRAKRITI PDF
Nature of Environmental Education)

शिक्षा की भाँति पर्यावरणीय शिक्षा का भी अपना स्वरूप होता है । पर्यावरणीय शिक्षा की प्रकृति पर निम्नलिखित बिन्दु प्रकाश डालते हैं



(01) पर्यावरणीय शिक्षा समाजीकरण की प्रक्रिया
(02) पर्यावरण शिक्षा द्वारा मानव-पर्यावरण सम्बन्धों का ज्ञान–
(03) पर्यावरणीय शिक्षा का व्यावहारिक ज्ञान पर बल—
(04) पर्यावरण शिक्षा द्वारा कौशल, अभिवृत्तियों तथा मूल्यों का विकास
(05) पर्यावरणीय शिक्षा समन्वित शिक्षा है—
(06) पर्यावरण शिक्षा मानव विकास से सम्बन्धित-
(07) पर्यावरण शिक्षा का सम्बन्ध मानव के भविष्य से है-
(08) पर्यावरण शिक्षा द्वारा ज्ञानात्मक, क्रियात्मक व भावात्मक पक्षों का विकास



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(01) पर्यावरणीय शिक्षा समाजीकरण की प्रक्रिया -

समाजीकरण में आज केवल परस्पर सहयोग, भ्रातृत्व भाव का विकास; सहकारिता जैसे गुणों को ही सम्मिलित नहीं किया जाता है अपितु समाजीकरण का एक गुण पर्यावरण के प्रति चेतना का विकास भी है। आज पारिस्थितिक असंतुलन, पर्यावरण प्रदूषण आदि सम्पूर्ण प्राणी समाज के अस्तित्व के खतरा बना गया है । अत: आवश्यक है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण हास को नियंत्रित में सहयोग करें । इस कार्य में पर्यावरण शिक्षा ही इस सामाजिक गुण का विकास कर सकती है।



(02) पर्यावरण शिक्षा द्वारा मानव-पर्यावरण सम्बन्धों का ज्ञान–

पर्यावरण शिक्षा मनुष्य को पर्यावरण तथा उसके प्रकारों का अवबोध करवाकर मानव और पर्यावरण । सम्बन्धों का ज्ञान करवाती है। पर्यावरण शिक्षा से ही स्पष्ट होता है कि किस प्रकार पर्यावरण मनुष्य का पालन-पोषण करता है। पर्यावरण उसके रहन-सहन, खान-पान तथा उसकी क्रियाओं को किस प्रकार प्रभावित करता है। मनुष्य के कृत्यों का पर्यावरण पर पड़ने वाल प्रभाव का ज्ञान भी पर्यावरणीय शिक्षा के द्वारा होता है।



(03) पर्यावरणीय शिक्षा का व्यावहारिक ज्ञान पर बल—

पर्यावरणीय शिक्षा और सामान्य शिक्षा में यही अन्तर है कि सामान्य शिक्षा सैद्धान्तिक पक्ष पर बल देती है जबकि पर्यावरणीय शिक्षा में व्यावहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है । पर्यावरणीय शिक्षा में पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याएँ प्रस्तुत कर छात्रों को उन समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित किया जाता है । समस्या सामाधान. में सैद्धान्तिक ज्ञान का प्रायोगिक रूप में उपयोग होता है।



(04) पर्यावरण शिक्षा द्वारा कौशल, अभिवृत्तियों तथा मूल्यों का विकास

पर्यावरण शिक्षा द्वारा छात्रों में विविध कौशलों का विकास किया जाता है । उदाहरण के लिए प्राकृतिक संकट पैदा होने पर बचाव करने का कौशल, वन्य जीवों के संरक्षण का कौशल उनको सिखाकर निपुण बनाया जाता है। पर्यावरण शिक्षा, पर्यावरण के विभिन्न घटकों के प्रति उचित दृष्टिकोण पैदा का उनको मूल्यों का ज्ञान कराती है । इनके कारण ही पर्यावरण में सुधार सम्भव होता है।



(05) पर्यावरणीय शिक्षा समन्वित शिक्षा है—

यह एक गलत धारणा है कि पर्यावरण शिक्षा का अन्य पाठ्य-विषयों से कोई सम्बन्ध नहीं है । जबकि वस्तु स्थिति यह है कि पर्यावरण शिक्षा का विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान के सभी विषयों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। जीव विज्ञान और पर्यावरण का प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण शिक्षा अर्थशास्त्र, भूगोल, समाजशास्त्र, नागरिकशास्त्र आदि विषयों से भी सम्बन्धित है। इसी कारण इसको एकीकृत शिक्षा का रूप कहा जाता है ।



(06) पर्यावरण शिक्षा मानव विकास से सम्बन्धित-

पर्यावरण शिक्षा का सीधा सम्बन्ध मानव के स्वास्थ्य से है। पर्यावरण के ज्ञान तथा पर्यावरण के ह्रास के कारणों की जानकारी द्वारा पर्यावरण शिक्षा छात्रों को पर्यावरण सुधार के लिए प्रेरित करती है। पर्यावरण सुधार द्वारा ही हम पर्यावरण को स्वास्थ्यप्रद बना सकते हैं। स्वच्छ एवं शुद्ध पर्यावरण ही मानव विकास का आधार है ।




(07) पर्यावरण शिक्षा का सम्बन्ध मानव के भविष्य से है-

सामान्य शिक्षा जैस - बालक को भावी जीवन के लिए तैयार करती है उसी प्रकार पर्यावरण शिक्षा मानव के भविष्य पर बल देती है। उदाहरण के लिए पर्यावरण शिक्षा सचेत करती है कि जिस गति से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आजकल हो रहा है तो भविष्य में इनकी उपलब्धता असम्भव हो जाए और ये कल-कारखाने बन्द हो जाएँ । मानव विकास धराशायी हो जाए। यदि पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता रहे तो भविष्य में सभी जीवधारी नष्ट हो जाएँ । इस प्रकार पर्यावरण शिक्षा मनुष्य के बारे में सचेत करती है।



(08) पर्यावरण शिक्षा द्वारा ज्ञानात्मक, क्रियात्मक व भावात्मक पक्षों का विकास—

पर्यावरण शिक्षा द्वारा समस्याएँ प्रस्तुत करके छात्रों को उनके समाधान करने का अवसर प्रदान किया जाता है जिससे छात्र नवीन अनुभव अर्जित करके अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं तथा साथ ही उनका ज्ञानात्मक पक्ष विकसित होता है ।



पर्यावरण शिक्षा की प्रकृति क्या है?
paryavaran shiksha ki prakriti pdf in hindi
Nature of environment in hindi
BIHAR D.El.Ed F 10 NOTES
BIHAR DElEd PAPER F-10  paryavaran shiksha 
पर्यावरण शिक्षा पीडीऍफ़

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